पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना |
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना
जो हो मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना
हमारे शेर सुन कर के भी जो खामोश इतना है .
खुदा जाने गुरुर -ए-हुस्न में मदहोश कितना है
खुदा जाने गुरुर -ए-हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूंछा हैं सुराही ने सबब मैका
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना हैं
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना हैं
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