Tuesday, March 20, 2012

Chanakya Shaloka

ॐ ॥


असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय
मृत्योर्मा अमृतं गमय ।


सर्वेपि सुखिन: संतु ।
सर्वे संतु निरामया ।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु ।
मा कश्चित दु:ख़भाद् भवेत ।


द्यौ: शांति: शांति: ।
अंतरीक्ष शांति: शांति: ।
पृथीवी शांति: शांति: ।
आप: शांति: शांति: ।
ओषधय: शांति: शांति: ।
वनस्पतय: शांति: शांति: ।
विश्वेदेवा: शांति: ।
काम: शांति: शांति: ।
क्रोध: शांति: शांति: ।
दंभ: शांति: शांति: ।
सर्व: शांति: शांति: ।
शांतिरेव शांति: शांति: ।
साम:शांतिरेभि: ।


यतो यत समीहसे ततो नो म भयं कुरु ।
शंन: कुरु प्रजाभ्यो भयं न पशुभ्य: ।


सुशांतिर्भवतु । सुशांतिर्भवतु । सुशांतिर्भवतु।

Monday, March 5, 2012

Dr. Vishwas Kumar's poem

 

पनाहों  में  जो  आया  हो  तो  उस  पर  वार  क्या  करना | 
जो  दिल  हारा  हुआ  हो  उस पर  फिर  अधिकार  क्या  करना 
 
मोहब्बत  का  मज़ा  तो  डूबने  की  कशमकश  में  हैं 
जो   हो  मालूम  गहराई   तो  दरिया  पार  क्या  करना 
हमारे  शेर  सुन  कर  के  भी  जो  खामोश  इतना  है .
खुदा  जाने  गुरुर -ए-हुस्न  में  मदहोश  कितना  है
 
किसी  प्याले  से  पूंछा   हैं  सुराही  ने   सबब  मैका
जो  खुद  बेहोश  हो  वो  क्या  बताये  होश  कितना  हैं