Tuesday, February 7, 2012

Kavi gang...

एक बुरो प्रेम को पंथ , बुरो जंगल में बासो
बुरो नारी से नेह बुरो , बुरो मूरख में हँसो
बुरो सूम की सेव , बुरो भहनी घर भाई
बुरी नारी कुलक्ष , सास घर बुरो जमाई
बुरो ठनठन पाल है बुरो सुरन में हँसनों
कवि गंग कहे सुन शाह अकबर सबसे बुरो माँगनो...एक सबसे बुरो माँगनो.....एक सबसे बुरो माँगनो

1 comment:

  1. the last and second last line are completely wrong please correct them with regards mr lokesh dubey.

    ReplyDelete